सोशल मीडिया पर बिना अपशब्दों के तर्कपूर्ण तरीके से विरोध करने का हुनर बहुत rare दीखता है। ताजा नमूना आमिर खान का है। मुद्दे की जड़ तक जा कर प्रतिप्रश्न किया किसी ने कि क्या आप स्वयं अपनी पत्नी से सहमत हैं? वही दूध का दूध और पानी का पानी हो गया होता।
रही बात असहिष्णुता की तो आमिर और किरण जिस क्षेत्र में काम करते हैं, वो समूचे भारत का प्रतिनिधत्व भाषा, बोली, क्षेत्र, आयवर्ग से लेकर धर्म तक में करता है। क्या उन्होंने पिछले कुछ महीनो में कोई बदलाव देखे फ़िल्म उद्योग में जिनमे उन्हें किसी भी वजह से भेदभाव का सामना करना पड़ा हो। नहीं? ... तो भैया ये असहिष्णुता का राग न अलापो। तो जैसे आपकी जिंदगी पहले जैसी है वैसी ही देश के गाँव कूचों और शहरों में लोगों की जिंदगी चल रही है। आज भी सड़क पर निकल कर धर्म नही पूछते पहले किसी की मदद करने के। हुई हैं कुछ घटनाएं, लेकिन उनकी वजह से सारे देश पर ऊँगली उठाना कहाँ तक सही है। जहाँ घटनाएं हुई उनका विरोध भी भरपूर हुआ।
ये असहिष्णुता है सिर्फ सोशल मीडिया पर, जहाँ हर छोटे से छोटे आदमी के पास हथियार आ गया है अपनी बात रखने का फिर चाहे सामने कोई भी क्यों न हो। और इस बात रखने के अति उत्साह में वो शिष्टता भूल जाता है। तो भई आमिर टोको उसे पर ये पलायन क्यूँ ? जितना प्यार आपने पाया है स्टारडम में वो लौटाने का वक़्त है यहीं, इसी सोशल मीडिया पर । फिर देखो ये तुम्हे सर आँखों पर कैसे नहीं बिठाते फिर ।
मंगलवार, 24 नवंबर 2015
असहिष्णुता और आमिर
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काश
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वाह! कितनी सुन्दरता से रखी है बात..... अफसोस कि समझदारों की कमी है।
जवाब देंहटाएंवाह! कितनी सुन्दरता से रखी है बात..... अफसोस कि समझदारों की कमी है।
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