हम यूँ ही पैदा होते हैं, अचानक
और यूँ ही मर भी जाते हैं,
इस जीने और मरने के बीच का सफर भी होता
यूँ ही, बेवजह सा
बेवजह हँसते, बेवजह खिलखिलाते
बेवजह रोते, बेवजह गुनगुनाते
बेवजह लड़ते, बेवजह मनाते
काश... जी पाते बेवजह
बिना वजह की तलाश किए,
और यूँ ही गुजर जाती जिंदगी
काश ऐसा हो कभी, यूँ ही
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