तुमने कहा था,
प्रेम और पागलपन पर्याय ही हैं, लगभग ,
और मैं अटक गयी लगभग पर
ये लगभग की सीमारेखा कितनी
विचित्र रहती होगी न
जहाँ प्रेम में पागलपन और
पागलपन में प्रेम का समावेश हो
जैसे चौखट हो कोई, न अंदर न बाहर
बस चौखट हो, किंतु
चौखट घर नही होती,
न घर से बाहर कोई जगह
जहाँ रहा जा सके, हाँ
टिक जरूर सकते दो पल को
इसलिए आप प्रेमी होते हैं
या पागल , बस और कुछ नहीं ।
गुरुवार, 24 नवंबर 2016
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
काश
जाने कैसे लोग होते हैं जिन्हें कोई regret कोई पछतावा नहीं होता। इतना सही कोई कैसे हो सकता है कि कुछ गलत न हुआ हो कभी भी उसकी जिंदगी में। अब...
-
एक बार माता-पिता बन जाने के बाद आप कोई भी चीज अपने लिए नहीं लेते | सब कुछ बच्चों के लिए ही लिया जाता है | ऐसे ही एक दिन हमारे यहाँ क...
-
एक बार भगवान जी के दरबार में सारे मौसम बारिश के खिलाफ नालिश ले के पहुंचे | उन सब का नेता गर्मीं का मौसम ही था और ये होना स्वाभावि...
-
चांद मुझे तुम सा लगता है, तुम सा ही लुभावना, अपनी ही कलाओं में खोया, तुम्हारी मनःस्थिति सा कभी रस बरसाता तो कभी तरसाता कभी चांदनी से सराब...
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें